मरीज की आवाज से चलेगा पता, शरीर पर कोरोना का हुआ कितना असर

मरीज की आवाज से चलेगा पता, शरीर पर कोरोना का हुआ कितना असर

सेहतराग टीम

कोरोना का बढ़ता प्रसार रुकने के नाम नहीं ले रहा है। लगातर रोज आने वाले नए कोरोना मामले और होने मौतों में इजाफा हो रहा है। हालांकि इसे रोकने के लिए हेल्थ एक्सपर्ट और सरकार काफी प्रयास कर रहे हैं। यही नहीं कोरोना टेस्टिंग में भी तेजी लाई गई है ताकि कोरोना पर लगाम लगाया जा सके। अब कोरोना की रोकथाम के लिए आधुनिक तकनीक पर आधारित वॉइस टेस्टिंग की जांच शुरू की गई है। इस प्रक्रिया के तहत मरीज के आवाज से यह पता लगाया जा सकेगा कि कोरोना से संक्रमित होने पर मरीज के लिए कितना रिस्क है और उसके शरीर पर क्या असर पड़ता है। यह टेस्टिंग एक सितंबर से देश की आर्थिक राजधानी मुंबई शुरू की गयी है।

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मुंबई पश्चिमी उपनगर के नेस्को कोविड सेंटर में मरीजों के आवाज के नमूने लिए जा रहे हैं। कोविड सेंटर की डीन डॉ. नीलम अंद्राडे ने बताया कि मरीजों के आवाज के नमूने का डाटा इकट्ठा किया जा रहा है। आगामी 15 अक्तूबर तक 2000 कोरोना मरीजों के आवाज का डाटा इकट्ठा कर लिया जाएगा। इसके बाद आवाज के नमूने को इस्रायल की वेकेलिस हेल्थकेयर कंपनी के पास भेजा जाएगा जिसकी रिपोर्ट छह महीने में आएगी।

डॉ. अंद्राडे ने बताया कि कोविड सेंटर में आनेवाले उन्हीं लोगों की वाइस टेस्टिंग की जांच रही है जो कोविड-19 पॉजिटिव है। यह एक तरह का रिसर्च है। इसमें मरीज की पूरी जानकारी इकट्ठा की जा रही है। मसलन, कोरोना संक्रमित मरीज की आवाज में क्या बदलाव आया और आवाज में कितनी कंपन है आदि का स्क्रीनिंग टूल बनाया जाएगा। यह पूरा सैम्पल डाटा के साथ इस्रायल की कंपनी को भेजा जा रहा है। वहां रिसर्च कर वॉइस सैम्पल को मैच कराया जाएगा उसके बाद रिपोर्ट तैयार होगी। इसके बाद पता चलेगा कि कोरोना से मरीज को कितना रिस्क है और इसका उसके शरीर पर क्या असर पड़ सकता है।

डॉ. नीलम ने बताया कि एक कोरोना संक्रमित मरीज का इस मशीन से तीन बार टेस्टिंग हो रही है। इसमें कोविड सेंटर में आने के पहले दिन, तीसरे दिन और डिस्चार्ज होनेवाले दिन टेस्टिंग होती है। डॉ. नीलम ने बताया कि कोविड सेंटर को दो टेस्टिंग मशीन उपलब्ध कराए गए हैं, जिसे लेकर दो डॉक्टर सेंटर में मरीजों की जांच कर रहे हैं।

कोरोना टेस्टिंग के लिए इस तकनीक का प्रयोग अमेरिका व इस्रायल जैसे देशों में शुरू किया गया है। डॉ. अंद्राडे ने बताया कि जब किसी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण दिखाई देते है, तो उन्हें सांस लेने में कठिनाई होती है। ये सभी प्रक्रियाएं फेफड़ों की मांसपेशियों को प्रभावित करती हैं। इससे फेफड़ों की मांसपेशियों में सूजन आ जाती है और मरीज की आवाज बदल जाती है। अब तक जांच में यह सामने आ चुका है।

 

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